होली और होलिका दहन: रंगों (colours) का त्योहार
होली भारतीय सांस्कृतिक विरासत में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह रंगों, खुशियों और उमंग का पर्व है जो भारत भर में धूमधाम से मनाया जाता है।
लाल रंग (Red): लाल रंग मंगल गृह से सम्बन्ध रखता है।
लाल रंग प्रेम और उत्साह का प्रतीक होता है।
यह ग्रह आपके जीवन में उर्जा और जोश को बढ़ाते हैं।
पीला रंग (Yellow): पीला रंग बृहस्पति गृह से सम्बंधित
पीला रंग आरोग्य, शांति और धार्मिक उत्साह का प्रतीक होता है।
यह ग्रह आपके रिश्तों में मधुरता बढ़ाने में मदद करते हैं।
हरा रंग (Green): हरा रंग बुध गृह से सम्बंधित है।
हरा रंग नए आरंभों और फसल की खुशी का प्रतीक होता है।
यह ग्रह आपके जीवन में शांति और सकारात्मकता लाते हैं।
नारंगी रंग (Orange): नारंगी रंग सूर्य गृह से सम्बंधित है।
नारंगी रंग खुशमिजाजी का प्रतीत होता है।
यह ग्रह आपकी मानसिक शक्ति को मजबूत बनाता है।
होली के रंग न केवल रंगों का त्योहार होते हैं, बल्कि यह आपके जीवन में खुशियों का संकेत भी होते हैं।
HOLI होली का महत्व
रंगों का खेल:
- होली के दिन लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ रंगों से खेलते हैं।
- गुलाल, अबीर, पिचकारी, और रंगों के फूल इस खेल में शामिल होते हैं।
धार्मिक महत्व:
- होली का त्योहार प्रहलाद और हिरण्यकश्यप की कथा से जुड़ा है।
- प्रहलाद ने भगवान विष्णु की भक्ति की और होलिका दहन के दिन उसकी रक्षा हुई।
होली और भक्त प्रह्लाद की कहानी
प्रह्लाद एक छोटा सा लड़का था। वह भगवान में बहुत आस्था रखता था और भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था।
प्रह्लाद की कथा
होली और भक्त प्रह्लाद की कहानी
प्रह्लाद एक छोटे बालक थे वह भगवान में बहुत आस्था रखते थे और भगवान विष्णु के बहुत बड़ा भक्त थे।
प्रह्लाद की कथा
असुर राजा हिरण्यकश्यप: प्रह्लाद के पिता राजा हिरण्यकश्यप थे। वे बहुत बड़े नास्तिक थे और भगवान को नहीं मानते थे।
प्रह्लाद की भक्ति: प्रह्लाद भगवान विष्णु के अनन्य भक्तों में से एक थे। उनके तन-मन में विष्णुजी बसे थे।
हिरण्यकश्यप का अहंकार : हिरण्यकश्यप को अपनी शक्ति का इतना अहंकार थे की उन्होंने अपने राज्यवासियों को स्वयं की पूजा करने की आज्ञा दी।
प्रह्लाद की अविचल भक्ति: प्रह्लाद ने अपने पिता की आज्ञा को न माना और भगवान विष्णु की पूजा करने में लगे।
होलिका दहन: हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से प्रह्लाद को जलाने की आज्ञा दी। होलिका ने अपने गोद में प्रह्लाद को बैठाया और आग में जा बैठी। परंतु प्रह्लाद भगवान विष्णु की भक्ति में लगे रहे और उन्हें कुछ नहीं हुआ। होलिका दहन के दिन होलिका स्वयं आग में जलकर भस्म हो गई।
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होली का महत्व
- होली भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद की भक्ति की जीत का पर्व है।
होलिका दहन:
- होलिका दहन रात्रि को होता है।
- लोग होलिका की प्रतिमा को जलाते हैं और बुराई को जीत के रूप में मनाते हैं।
होलिका दहन मुहूर्त 2024
होलिका दहन कब है?
24 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा।
इस साल 25 मार्च को होली खेली जाएगी।
- पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ: 24 मार्च 2024 को सुबह 09:54 बजे से
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 25 मार्च 2024 को दोपहर 12:29 बजे तक
होलिका 2024 दहन शुभ मुहूर्त
भद्राकाल काल में होलिका दहन करना शुभ नहीं होता है और इस साल होलिका दहन की शाम भद्रा का साया है। 24 मार्च को भद्राकाल रात्रि 11 बजकर 13 मिनट तक रहने वाला है, इसलिए होलिका दहन का श्रेष्ठ मुहूर्त रात्रि 11 बजकर 14 मिनट से लेकर 12 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। इसी बीच में आप होलिका दहन कर सकते हैं।